मंदिर की ख़ामोशी देखि
मस्जिद भी खामोश थी
नफरत का बाजार सजा था
और सियासत चोर थी
सड़कों पर दरकार खड़ी थी
महलों में सरकार
गलियों में लाशों की बस्ती
चौराहों पर आस
अभिलाषा बस सिसक रही थी
कहीं रात बस शोर थी
नफरत का बाजार सजा था ,और सियासत चोर थी
ख़ुशी बंद पन्नों पर अटकी
नजर पड़ी तो झूमा झटकी
आटा दाल नमक और शक्कर
जीवन का हर खेल था चक्कर
असलाहों की धमक सुबह ले
महज रात भर रोता था
मुरदों की ढेरी पर सूरज
चमक फलक में खोता था
मटमैली जीने की चाहत
जीवन पर कमजोर थी
नफरत का बाजार सजा था, और सियासत चोर थी
सत्याग्रह खंजर करते थे
गूंगे थे चीत्कारते
पूर्वाग्रह से सत्ता दुसित
बहरी हुई पुकार से
क्रंदन की बोली लगती थी
अभिनन्दन की बेला में
नीम चढ़ी शक्कर के ऊपर
गुड जा बसी करेला में
कडवी साँसों की गर्माहट फ़ैल रही पुरजोर थी
नफरत का बाजार सजा था, और सियासत चोर थी
पूरब में बंटवारे गूंजे
मध्य में थी क्रांति
उत्तर में ध्वज जलते देखा
दक्षिण में थी भ्रान्ति
महलों में बलिदान समर था,
डाकू चढ़ते पालकी
और सिपाही चाकर बनता,
समरभूमि किस काम की
रोज रात बरबादी का, बस मंजर सजते देखा था
बलात्कार का कोलाहल, बस हँसते हँसते देखा था
राजा था रनिवास में डूबा
प्रजा त्रस्त चहुँ ओर थी
नफरत का बाजार सजा था, और सियासत चोर थी
मेरी यात्रा का अनुभव, बदरंग हूर के जैसा है
स्वप्नहीनता से श्रापित, उस नयन नूर के जैसा है
खारे जल के मध्य बैठ मैं प्यास सुनाने आया था
मीठे पानी की गगरी में आस जगाने आया था
पर गगरी में नमक घुली थी,
नमकीन यहाँ जग सारा था
प्यास प्यास चिल्लाते साथी
सबका जीवन हारा था
उस प्यासी प्यासी बस्ती से ,
घूम घूम कर लौटा हूँ
जहाँ कुंड बहुतायत में थे
लोग घिरे एक आयत में थे
आयात के उस पार कुंड में, जहर घुली बस मिलती थी
और मिलाने वाली टोली , बहुत जोर से खिलती थी
आयात से आयत भिड़ते थे
सुबह शाम उन गलियों में
और तमाशा देख रहे वो
बस सत्ता की गलियों में
किसको फिकर कहाँ किसकी थी
रात बहुत पुरजोर थी
नफरत का बाजार सजा था, और सियासत चोर थी
–उपेन्द्र दुबे(10/०७/२०१३)
yashodadigvijay4
जुलाई 12, 2013 @ 07:49:48
आपने लिखा….हमने पढ़ा….
और लोग भी पढ़ें; …इसलिए शनिवार 13/07/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी…. आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ….
लिंक में आपका स्वागत है ……….धन्यवाद!
kuldeep thakur
जुलाई 13, 2013 @ 19:01:57
सुंदर भाव…
यही तोसंसार है…
Poonam
जुलाई 13, 2013 @ 19:20:28
sasti hui siyaast
M.R.Iyengar
जुलाई 14, 2013 @ 19:05:59
भाव बहुत सुंदर हैं.
Sunita Saha
जुलाई 17, 2013 @ 17:07:57
Ati sundar rachna…